Friday, October 30, 2009

चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बना आयुर्वेदाचार्य

कुंवारिया। बुजुर्ग अक्सर कहते हैं कि सेहत के मामले में जरा सी लापरवाही, अल्पज्ञता या अज्ञानता भारी पड सकती है और किसी चिकित्सक विशेषज्ञ की सलाह पर ही दवा लेना चाहिए, लेकिन यहां समीपवर्ती बिनोल के आयुर्वेद चिकित्सालय में तो तदबीरें ही उल्टी हैं। इस अस्पताल में आयुर्वेदाचार्य पद रिक्त पडा है और चिकित्सक का कार्य एक चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी कर रहा है। इससे ग्रामीणों के स्वास्थ्य से खिलवाड के साथ महकमे की कार्यप्रणाली पर भी प्रश्न चिह्न लग रहा है।
जानकारी के अनुसार बिनोल में स्थित आयुर्वेद चिकित्सालय में नियुक्त आयुर्वेदाचार्य का स्थानांतरण होने के बाद से यहां पर चिकित्सक का पद रिक्त चल रहा है। चिकित्सालय में कम्पाउण्डर का पद भी पिछले सात वर्ष से खाली ही पडा हुआ है। वर्तमान में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी परसराम सालवी ही पूरे चिकित्सालय की सार संभाल व रोग उपचार कर रहा है। चिकित्सालय में बिनोल गांव सहित कर्णपुरिया, देवरीखेडा, ढुलियाणा, साकरोदा, धनोली, जाटियाखेडा, रेबारियो की ढाणी, सुथारो की भागल, वणाई, पनोतिया आदि आसपास के कई छोटे-बडे गांवो के ग्रामीण विभिन्न रोगो का उपचार करवाने के लिए आते हैं, मगर आयुर्वेदाचार्य के अभाव में उन्हें खासी परेशानी उठानी पड रही है।
यहां पर भी है परेशानीइसके साथ ही समीपवर्ती गलवा में स्थित आयुर्वेद चिकित्सालय में पिछले पांच वर्षों से भी अघिक समय से आयुर्वेदाचार्य व कम्पाउण्डर की स्थाई नियुक्ति नहीं हुई है। विभाग की ओर से वर्तमान में मुरडा से अस्थाई रूप से एक कम्पाउण्डर को लगा रखा है। ऎसे में कम्पाउण्डर को ही चिकित्सालय की साफ सफाई, रोगियों का उपचार, दवा लिखने व दवा बनाकर देने के लिए विवश होना पड रहा है।
गलवा आयुर्वेद चिकित्सालय में चिकित्सक व स्थाई रूप से कर्मचारियों की नियुक्ति के अभाव में ग्रामीणों को बहुत परेशानी हो रही है। चिकित्सालय में आयुर्वेदाचार्य की स्थाई नियुक्ति की आवश्यकता है।-फतहलाल टेलर, ग्रामीण
बिनोल आयुर्वेद चिकित्सालय में आसपास के गांवों के ग्रामीण रोगपचार के लिए आते है। आयुर्वेदाचार्य नहीं होने से ग्रामीण रोगियों को बहुत परेशानी उठानी पड रही है।- भगवतसिंह राठौड, सरपंच बिनोल
कर्मचारियों की कमी के कारण आयुर्वेद चिकित्सा विभाग के निदेशक को अवगत करवा दिया गया है। शीघ्र ही कर्मचारियों की कमी की समस्या का समाधान किया जाएगा।-नरेन्द्र महात्मा, जिला आयुर्वेद अघिकारी

No comments: