राजसमंद। पिछले करीब सवा महीने से भी अघिक समय से जेके टायर फैक्ट्री में चुनाव को लेकर बरपा तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है। बुधवार शाम को इंटक पदाघिकारियों के राजसमंद लौटने के कारण वार्ता विफल हो गई।
दरअसल दो दिन पूर्व 13 अक्टूबर को जयपुर में श्रम आयुक्त अंजना दीक्षित ने जेके प्रबंधन, कर्मचारी एकता यूनियन सीटू और कर्मचारी यूनियन इंटक को वार्ता के लिए बुलाया था। तीनों पक्षों की सामूहिक वार्ता के दौरान सभी ने अपने-अपने तर्क और दस्तावेज पेश किए। यहां जेके प्रबंधन ने फैक्ट्री में उत्पादन प्रक्रिया बहाल करने के संबंध में पूर्व में कही गई बातें ही दोहराइंü कि अगर कामगार नियमित कार्य करने की गारंटी लेते हैं तो कारखाना संचालित करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इंटक और सीटू दोनों ही श्रम संगठन बहुमत का दावा करने लगे। इंटक ने जहां सदस्यों के नाम, पिछले करीब बत्तीस दिनों से चल रहे धरना-प्रदर्शन आदि की जानकारी देते हुए सदस्यता शुल्क के दस्तावेज पेश किए तो सीटू ने भी करीब 1800 सदस्यों की सहमति उनके पक्ष में होने के दस्तावेज व सदस्यता शुल्क की रसीदें आदि पेश कर दीं।
एक राय नहीं बनने व तीनों पक्षों के अडे रहने से देर रात तक चली वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकलने पर श्रम आयुक्त ने जेके टायर फैक्ट्री में चुनाव का मामला प्रमुख शासन सचिव (उद्योग) अजीतकुमार सिंह के पास भिजवा दिया और तीनों पक्षों को उनके पास वार्ता करने के लिए कहा। इस पर प्रमुख शासन सचिव ने तीनों पक्षों की अलग-अलग बैठक ली। पहले दौर की वार्ता विफल रहने के बाद प्रमुख शासन सचिव ने फाइल निजी सचिव के पास भिजवा दी और दूसरे दौर की वार्ता के लिए तीनों पक्षों को बुलाया।
बताया गया कि यहां जेके प्रबंधन और सीटू ने अपने-अपने तर्क पेश किए, लेकिन इंटक ने वार्ता में हिस्सा नहीं लिया और संगठन के पदाघिकारी राजसमंद लौट आए।
दरअसल दो दिन पूर्व 13 अक्टूबर को जयपुर में श्रम आयुक्त अंजना दीक्षित ने जेके प्रबंधन, कर्मचारी एकता यूनियन सीटू और कर्मचारी यूनियन इंटक को वार्ता के लिए बुलाया था। तीनों पक्षों की सामूहिक वार्ता के दौरान सभी ने अपने-अपने तर्क और दस्तावेज पेश किए। यहां जेके प्रबंधन ने फैक्ट्री में उत्पादन प्रक्रिया बहाल करने के संबंध में पूर्व में कही गई बातें ही दोहराइंü कि अगर कामगार नियमित कार्य करने की गारंटी लेते हैं तो कारखाना संचालित करने में कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन इंटक और सीटू दोनों ही श्रम संगठन बहुमत का दावा करने लगे। इंटक ने जहां सदस्यों के नाम, पिछले करीब बत्तीस दिनों से चल रहे धरना-प्रदर्शन आदि की जानकारी देते हुए सदस्यता शुल्क के दस्तावेज पेश किए तो सीटू ने भी करीब 1800 सदस्यों की सहमति उनके पक्ष में होने के दस्तावेज व सदस्यता शुल्क की रसीदें आदि पेश कर दीं।
एक राय नहीं बनने व तीनों पक्षों के अडे रहने से देर रात तक चली वार्ता का कोई नतीजा नहीं निकलने पर श्रम आयुक्त ने जेके टायर फैक्ट्री में चुनाव का मामला प्रमुख शासन सचिव (उद्योग) अजीतकुमार सिंह के पास भिजवा दिया और तीनों पक्षों को उनके पास वार्ता करने के लिए कहा। इस पर प्रमुख शासन सचिव ने तीनों पक्षों की अलग-अलग बैठक ली। पहले दौर की वार्ता विफल रहने के बाद प्रमुख शासन सचिव ने फाइल निजी सचिव के पास भिजवा दी और दूसरे दौर की वार्ता के लिए तीनों पक्षों को बुलाया।
बताया गया कि यहां जेके प्रबंधन और सीटू ने अपने-अपने तर्क पेश किए, लेकिन इंटक ने वार्ता में हिस्सा नहीं लिया और संगठन के पदाघिकारी राजसमंद लौट आए।
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