Tuesday, October 20, 2009

कमजोर कदम, 'अंधेरी आंखें'

राजसमंद। संभाग के सभी जिलों सहित राज्य में दृष्टिहीनों की तादाद में लगातार बढोतरी हो रही है। राज्य सरकार की ओर से अंधता निवारण की दिशा में किए जा रहे प्रयास निरर्थक साबित होने लगे हैं। हालात ये हैं कि अब आंखों में कम रोशनी की शिकायत होने के बावजूद लोग राजकीय चिकित्सालयों की शरण लेना बेकार समझने लगे हैं।
चिकित्सा व स्वास्थ्य विभाग की ओर से प्रति वर्ष संभाग के प्रत्येक जिले को सालाना पांच से 20 हजार तक अंध निवारण ऑपरेशन करने का लक्ष्य दिया जाता है। यह आंकडा संबंघित जिले की कुल आबादी को आधार बना कर (कुल आबादी का करीब दो फीसदी) निकाला जाता है। चौंकाने वाला पहलू यह है कि हर वर्ष सरकारी आंकडों में लक्ष्य की प्राप्ति भी कर ली जाती रही है।
बेकाबू हालातइस वर्ष उदयपुर जिले को करीब 15 हजार, डूंगरपुर सवा सात हजार, बांसवाडा आठ हजार और राजसमंद को करीब साढे पांच हजार ऑपरेशन करने का लक्ष्य मिला था। आंखों के ऑपरेशन का यह लक्ष्य पिछले वर्ष अप्रेल माह से आगामी मार्च माह की समाप्ति तक (वित्तीय वर्ष) के लिए तय किया गया था। छह माह गुजरने के बाद भी किसी जिले में पांच तो किसी में अब तक अघिकतम 15 फीसदी ही लक्ष्य हासिल किया जा सका है। ऎसे में इस वर्ष संभाग में 'अंधेरा पसरने' की आशंका है। गौरतलब है कि अपे्रल से जनवरी माह तक अंधता निवारण के लिए विभिन्न एनजीओ के सहारे राज्य भर में युद्ध स्तर पर ऑपरेशन किए गए थे।
लाचार हैं बूढी आंखेंसामान्यत: चालीस से अघिक आयु के महिला-पुरूष अंधता के अधिक शिकार होते हैं। मधुमेह, कुपोषण व गुणवत्तायुक्त भोजन की कमी आदि विभिन्न कारणों से इस उम्र में नेत्र ज्योति कमजोर होने का अंदेशा बना रहता है। समय पर उपचार नहीं मिलने पर व्यक्ति पूर्णत: दृष्टिहीन भी हो सकता है। पैर के कमजोर होने की उम्र में आंखों की रोशनी भी कमजोर होने का दर्द वही जान सकता है, जो भुगतभोगी है।

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