Wednesday, October 28, 2009

करोडों खर्च, फिर भी सूखे हलक

गिलूण्ड। करोडों रूपए खर्च होने के बावजूद रेलमगरा व कुरज क्षेत्र के कई गांवों में बनास पर निर्मित बाघेरी का नाका से पानी पहुंचाने के लिए करोडों रूपए खर्च कर बिछाई गई पाइप लाइन व पानी की टंकियां बेमतलब साबित हो रहीं हैं और ग्रामीणों के कंठ सूखे हैं। स्थिति यह है कि 72 घंटे के अंतराल पर हो रही जलापूर्ति अपर्याप्त साबित हो रही है और ग्रामीणों की भीड दूरदराज के पेयजल स्रोतों पर जुट रही है।
पूर्व में बनी थी योजनायोजना के तहत रेलमगरा तहसील मुख्यालय सहित चौकडी, मदारा, ओडा, अरडकिया, भूरवाडा, भामाखेडा, मोर्रा, जीवाखेडा, भराई और सादडी सहित अन्य गांवों में सुचारू पेयजल आपूर्ति के लिए बनास नदी पर निर्मित बाघेरी नाका से पानी पहुंचाने की योजना बनाई गई थी। दूसरी ओर कुरज क्षेत्र के पीपली अहीरान, गोगाथला, पेमाखेडा, मेघाखेडा, गाडरियावास और कालामाना समेत अन्य गांवों में भी यहीं से पानी पहुंचाने की योजना बनी।
बनाईं टंकियां इन गांवों में सुचारू जलापूर्ति और ग्रामीणों को पेयजल संकट से निजात दिलवाने के लिए करोडों की लागत से पाइप लाइनें बिछाई गईं और टंकियां निर्मित करवाई गइंü। मुख्य पाइप लाइन से दोनों स्थानों पर कनेक्शन भी करवाया गया, ताकि टंकियां भरी जा सकें।
धरी रह गई योजना गांवों में पानी पहुंचाने की सारी कवायदें पूरी हुइंü, लेकिन बाघेरी का नाका से पानी नहीं छोडा गया। ऎसे में क्षेत्रवासियों को बूंद-बूंद पानी के लिए दर-दर भटकना पड रहा है।

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