राजसमंद। जिले की मार्बल मंडी का अहम अंग माना जाने वाले केलवा-आमेट मार्ग के 19 किलोमीटर के दायरे में फैले मार्बल औद्योगिक क्षेत्र को आज भी बुनियादी सुविधाओं की दरकार है। पहल के अभाव में रीको औद्योगिक क्षेत्र का दर्जा नहीं मिलने से यहां अपेक्षित साधन-सुविधाएं नहीं जुट सकीं हैं।
15 साल पुराना उद्योगशुरूआती दौर में केलवा-आमेट के बीच गिने-चुने गैंगसा थे। समय के साथ यहां गैंगसा यूनिट की संख्या बढने लगी और बडे पैमाने पर खदानों में काम होने लगा। पिछले दस वर्षो में यहां मार्बल उद्योग का इतना विकास हुआ है कि यह क्षेत्र जिले की मार्बल मंडी के मुख्य केन्द्र के रूप में उभर कर सामने आया है। यहां चार सौ से भी अधिक कटर, सौ मार्बल गोदाम, 60 से 70 गैंगसा यूनिट व 40 से 50 फेल्सपार क्वाट्र्ज फैक्ट्रियां हैं। इसके अलावा आस-पास के आगरिया, पर्वती, कोटडी व बांडा में भी बडी संख्या में मार्बल खदानें हैं।
करोडों का राजस्वइस क्षेत्र के मार्बल उद्योग से राज्य सरकार को करोडों रूपए राजस्व की आमदनी हो रही है, लेकिन सरकार ने इस मोटी राशि का उपयोग सिर्फ अपने खजाने को मजबूत करने में किया है। राजस्व का अंश मात्र भी उद्योग की परवरिश में नहीं लगाया। परिणाम यह है कि आज भी यह क्षेत्र मूल सुविधाओं से महरूम है। यातायात और ट्रांसपोर्ट सुविधा भी पर्याप्त नहीं है। ट्रांसपोर्ट कम्पनी का प्रतिष्ठान नहीं होने से मार्बल व्यवसाइयों को मजबूरन राजसमंद से ट्रक मंगवाने पडते हैं, जिससे धन व समय की भी बर्बादी होती है।
चिकित्सा सुविधा नदारदयहां के व्यवसाइयों के लिए तब समस्या खडी हो जाती है, जब किसी यूनिट में हादसा होता है। घायलों को सीधे राजसमंद या उदयपुर ले जाना पडता है। कई बार गंभीर रूप से घायल रास्ते में ही दम तोड देते हैं।
बडे पैमाने पर निकलता है कच्चा मालआगरिया, कोटडी और पर्वती से निकलने वाला उच्च कोटि का माल किशनगढ व चित्तौडगढ सहित अन्य मंडियों में पहुंचने के बाद महंगी दरों पर बिकता है। विडंबना यह भी है कि कई बार यहां का माल किशनगढ व चित्तौडगढ के नाम से बिकता है, जिससे वहां की मंडियां गुलजार हैं।
क्षेत्र के विकास के लिए कई बार प्रशासन से आग्रह किया जा चुका है। पिछले तीन साल से टोल टैक्स देने के बावजूद आज तक स्तरीय मार्ग नहीं बन पाया है। जिससे गाडियों में आए दिन खासा नुकसान हो रहा है। क्षेत्र में स्तरीय चिकित्सा सुविधाओं का भी अभाव है, लेकिन आज तक हमारी कहीं सुनवाई नहीं हुई। कमलेश बलदेवा, अध्यक्ष मार्बल गैंगसा एसोसिएशन
मार्बल औद्योगिक क्षेत्र में जितने व्यवसायी बैठे हैं, उनमें से आधे से अघिक बिना व्यावसायिक रूपान्तरण के बैठे हैं। पहले वे अपनी दुकान, फैक्ट्री और अन्य संस्थान का व्यावसायिक रूपान्तरण कराएं उसके बाद सरकार विकास के लिए कदम बढाएगी। इसके साथ ही मार्बल एसोसिएशन की संबद्ध संस्था पर्यावरण विकास संस्थान इस क्षेत्र के व्यवसायियों से पैसा वसूल करती है, क्षेत्र का विकास करना उसकी भी नैतिक जिम्मेदारी है। औंकार सिंह, जिला कलक्टर, राजसमंद
15 साल पुराना उद्योगशुरूआती दौर में केलवा-आमेट के बीच गिने-चुने गैंगसा थे। समय के साथ यहां गैंगसा यूनिट की संख्या बढने लगी और बडे पैमाने पर खदानों में काम होने लगा। पिछले दस वर्षो में यहां मार्बल उद्योग का इतना विकास हुआ है कि यह क्षेत्र जिले की मार्बल मंडी के मुख्य केन्द्र के रूप में उभर कर सामने आया है। यहां चार सौ से भी अधिक कटर, सौ मार्बल गोदाम, 60 से 70 गैंगसा यूनिट व 40 से 50 फेल्सपार क्वाट्र्ज फैक्ट्रियां हैं। इसके अलावा आस-पास के आगरिया, पर्वती, कोटडी व बांडा में भी बडी संख्या में मार्बल खदानें हैं।
करोडों का राजस्वइस क्षेत्र के मार्बल उद्योग से राज्य सरकार को करोडों रूपए राजस्व की आमदनी हो रही है, लेकिन सरकार ने इस मोटी राशि का उपयोग सिर्फ अपने खजाने को मजबूत करने में किया है। राजस्व का अंश मात्र भी उद्योग की परवरिश में नहीं लगाया। परिणाम यह है कि आज भी यह क्षेत्र मूल सुविधाओं से महरूम है। यातायात और ट्रांसपोर्ट सुविधा भी पर्याप्त नहीं है। ट्रांसपोर्ट कम्पनी का प्रतिष्ठान नहीं होने से मार्बल व्यवसाइयों को मजबूरन राजसमंद से ट्रक मंगवाने पडते हैं, जिससे धन व समय की भी बर्बादी होती है।
चिकित्सा सुविधा नदारदयहां के व्यवसाइयों के लिए तब समस्या खडी हो जाती है, जब किसी यूनिट में हादसा होता है। घायलों को सीधे राजसमंद या उदयपुर ले जाना पडता है। कई बार गंभीर रूप से घायल रास्ते में ही दम तोड देते हैं।
बडे पैमाने पर निकलता है कच्चा मालआगरिया, कोटडी और पर्वती से निकलने वाला उच्च कोटि का माल किशनगढ व चित्तौडगढ सहित अन्य मंडियों में पहुंचने के बाद महंगी दरों पर बिकता है। विडंबना यह भी है कि कई बार यहां का माल किशनगढ व चित्तौडगढ के नाम से बिकता है, जिससे वहां की मंडियां गुलजार हैं।
क्षेत्र के विकास के लिए कई बार प्रशासन से आग्रह किया जा चुका है। पिछले तीन साल से टोल टैक्स देने के बावजूद आज तक स्तरीय मार्ग नहीं बन पाया है। जिससे गाडियों में आए दिन खासा नुकसान हो रहा है। क्षेत्र में स्तरीय चिकित्सा सुविधाओं का भी अभाव है, लेकिन आज तक हमारी कहीं सुनवाई नहीं हुई। कमलेश बलदेवा, अध्यक्ष मार्बल गैंगसा एसोसिएशन
मार्बल औद्योगिक क्षेत्र में जितने व्यवसायी बैठे हैं, उनमें से आधे से अघिक बिना व्यावसायिक रूपान्तरण के बैठे हैं। पहले वे अपनी दुकान, फैक्ट्री और अन्य संस्थान का व्यावसायिक रूपान्तरण कराएं उसके बाद सरकार विकास के लिए कदम बढाएगी। इसके साथ ही मार्बल एसोसिएशन की संबद्ध संस्था पर्यावरण विकास संस्थान इस क्षेत्र के व्यवसायियों से पैसा वसूल करती है, क्षेत्र का विकास करना उसकी भी नैतिक जिम्मेदारी है। औंकार सिंह, जिला कलक्टर, राजसमंद
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