Tuesday, October 20, 2009

बजी रणभेरी, हुआ घमासान

रणभेरी की गूंज, पटाखों का शोर व दर्शकों से खचाखच भरे कस्बे के ऎतिहासिक माणक चौक में जब भैंसों ने करतब दिखाने शुरू किए तो एकाएक अपार जनसमूह जयकारा लगा उठा। कुछ ऎसा ही नजारा था यहां प्रति वर्ष खेंखरे के अवसर पर होने वाले भैंसा खेल का। रविवार को यहां परम्परागत भैंसों की क्रीडा हुई।
शाम साढे चार बजे चौक का आलम यह था कि यहां के खुले मैदान के अलावा चौक के इर्द-गिर्द बनी इमारतों, छतों पर भी तिल धरने तक की जगह नहीं बची थी। शाम करीब पौने पांच बजे भैंसों की पहली जोडी चौक में पहुंची। ग्रामीणों ने पारम्परिक तरीके से भैंसों की पूजा कर पशु धन की रक्षा की कामना की। उसके बाद भैंसों को करतब दिखाने के लिए मैदान में छोड दिया गया। पहली ही जोडी ने शानदार करतब दिखाते हुए दर्शकों को दांतों तक अंगुली दबाने पर विवश कर दिया।
करीब दस मिनट तक चले इस घमासान के बाद कीर समुदाय व भैंसों के मालिकों उन्हें वश में कर मैदान से दूर ले गए। दूसरी, तीसरी व चौथी जोडी ने भी मैदान में शानदार करतब दिखाए। छठी जोडी के भैंसों ने मैदान में पहुंचते ही दर्शकों को तितर-बितर कर दिया। दोनों भैंसे मैदान में उछल कूद करने लगे। सातवीं जोडी के रूप में पुन: पहली जोडी के भैसों को मैदान में लाया गया। ग्रामीणों की और से चौक की एक छत से कार्यक्रम का आंखों देखा हाल सुनाने के लिए एक कॉमेन्ट्री बॉक्स स्थापित किया गया।

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