राजसमन्द। गोपाष्टमी का पर्व सोमवार को श्री पुष्टिमार्गीय तृतीय पीठ प्रन्यास के श्री द्वारिकाधीश मंदिर कांकरोली में मनाया गया। द्वारकाधीश प्रभु को प्रात: शृंगार में श्रीमस्तक पर पच्ची का मुकुट उस पर लाल रेशमी गोकर्ण, हरी और लाल रेशमी दो कांछनी, लाल अतलस की सूथन, लाल दो टूक का गाती का पीताम्बर व हीरा के आभरण के साथ श्वेत चिकने ठाडे वस्त्र धारण कराए गए। गोपाष्टमी पर्व के अवसर पर सुबह ग्वाल के दर्शन में श्रीप्रभु की आरती ब्रजेशकुमार महाराज ने की।
शाम को शयन की झांकी में श्री द्वारिकाधीश प्रभु को गंगा जमनी अष्ट पहलू के बंगले में विराजित किया गया। इस अवसर पर आसोटिया स्थित गोशाला में मंगलवार को गोपाष्टमी पर्व पर सांडों व पाडों की भिडंत का रोचक कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसे देखने के लिए स्थानीय व बाहरी लोगों का हुजूम उमड पडा। आयोजन को लेकर पूरी गो-शाला में आकर्षक विद्युत सज्ाा की गई। द्वारिकाधीश मंदिर के पीठाधीश्वर ब्रजेशकुमार ने गोशाला में उपस्थित रहकर भिडंत देखी।
वहीं प्रारंभ में उन्होंने छोटी बछडी को लाड लडाए। वहीं गोशाला की गायों को लपसी व प्रसाद खिलाया गया। प्रभु द्वारिकाधीश के जैकारे के साथ शुरू हुई भिडंत में सांडों व भैसों ने खूब जोर आजमाइश की। देर शाम तक चले सांडों व भैसों के इस शक्ति प्रदर्शन के खेल को देखने का लोगों ने जम कर लुत्फ उठाया। प्रथम मुकाबला चमेली व गोरी के सांड के बीच हुआ जिसमें चमेली के सांड ने बाजी मारी। दूसरा मुकाबला सुशील व नागौरी सांड के बीच हुआ जिसमें सुशील, गोविन्द व कमलेश भैंसों के बीच हुई रोचक भिडंत में गोविन्दा ने बाजी मारी।
वैष्णव मंदिरों में गोपाष्टमी का उत्सव भावनाथद्वारा। गोपाष्टमी के अवसर पर नगर के वैष्णव मंदिरों में गोचारण लीला का साज श्ाृंगार धरा कर गोमाताओं के चितराम की ही पिछवई सुसज्जित कर झांकी सजाई गई। सेवा के अनुरूप गोर्वधनधारी को सोमवार को मुकु ट कांछनी का छैला शृंगार धराया गया। कीर्तनकारों ने इस अवसर पर आगे गाय, पाछे गाय व इत गाय उत गाय पद का गान किया।
शृंगार की झांकी में श्रीजी बाबा को धवल ठाडे वस्त्र के परिवेश में जडाव के आभरण व वनमाला सुशोभित की गई और छापे की लाल सूथन के साथ लाल व हरे छापे की दुरंगी काछनी धरा कर मेघश्याम चोली की सेवा रची गई। कन्दरा खण्ड के संग गौमाताओं के चितराम की पिछवई धरायी गई। झांकियों के दर्शन के लिए आज भी श्रद्धालुओं की भारी रेलपेल रही।
शाम को शयन की झांकी में श्री द्वारिकाधीश प्रभु को गंगा जमनी अष्ट पहलू के बंगले में विराजित किया गया। इस अवसर पर आसोटिया स्थित गोशाला में मंगलवार को गोपाष्टमी पर्व पर सांडों व पाडों की भिडंत का रोचक कार्यक्रम आयोजित हुआ जिसे देखने के लिए स्थानीय व बाहरी लोगों का हुजूम उमड पडा। आयोजन को लेकर पूरी गो-शाला में आकर्षक विद्युत सज्ाा की गई। द्वारिकाधीश मंदिर के पीठाधीश्वर ब्रजेशकुमार ने गोशाला में उपस्थित रहकर भिडंत देखी।
वहीं प्रारंभ में उन्होंने छोटी बछडी को लाड लडाए। वहीं गोशाला की गायों को लपसी व प्रसाद खिलाया गया। प्रभु द्वारिकाधीश के जैकारे के साथ शुरू हुई भिडंत में सांडों व भैसों ने खूब जोर आजमाइश की। देर शाम तक चले सांडों व भैसों के इस शक्ति प्रदर्शन के खेल को देखने का लोगों ने जम कर लुत्फ उठाया। प्रथम मुकाबला चमेली व गोरी के सांड के बीच हुआ जिसमें चमेली के सांड ने बाजी मारी। दूसरा मुकाबला सुशील व नागौरी सांड के बीच हुआ जिसमें सुशील, गोविन्द व कमलेश भैंसों के बीच हुई रोचक भिडंत में गोविन्दा ने बाजी मारी।
वैष्णव मंदिरों में गोपाष्टमी का उत्सव भावनाथद्वारा। गोपाष्टमी के अवसर पर नगर के वैष्णव मंदिरों में गोचारण लीला का साज श्ाृंगार धरा कर गोमाताओं के चितराम की ही पिछवई सुसज्जित कर झांकी सजाई गई। सेवा के अनुरूप गोर्वधनधारी को सोमवार को मुकु ट कांछनी का छैला शृंगार धराया गया। कीर्तनकारों ने इस अवसर पर आगे गाय, पाछे गाय व इत गाय उत गाय पद का गान किया।
शृंगार की झांकी में श्रीजी बाबा को धवल ठाडे वस्त्र के परिवेश में जडाव के आभरण व वनमाला सुशोभित की गई और छापे की लाल सूथन के साथ लाल व हरे छापे की दुरंगी काछनी धरा कर मेघश्याम चोली की सेवा रची गई। कन्दरा खण्ड के संग गौमाताओं के चितराम की पिछवई धरायी गई। झांकियों के दर्शन के लिए आज भी श्रद्धालुओं की भारी रेलपेल रही।
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