Saturday, October 3, 2009

जे.के. फैक्ट्री में काम बंद

राजसमंद। जिला मुख्यालय स्थित जे.के. टायर फैक्ट्री पर आखिर शुक्रवार को प्रबंधन ने ताले लगा कर ढाई हजार कामगारों को घर बैठा दिया। इस फैक्ट्री में 16 सितम्बर से उत्पादन बाधित था। जिला प्रशासन ने इसे 'संस्पेंशन ऑफ वर्क' बताते कहा कि यह 'लॉक आउट' नहीं है। प्रबंधन ने फैक्ट्री बंद करना मजबूरी बताया है। सुबह पौने सात बजे जे.के. प्रबंधन ने फैक्ट्री के बाहर सूचना बोर्ड पर तालाबंदी का नोटिस चस्पा करने के बाद सभी कामगारों को बाहर निकाल कर फैक्ट्री के भीतरी द्वार पर अंदर की ओर से ताला लगा दिया।
तालाबंदी के विरोध में श्रमिक संगठन सीटू ने फैक्ट्री में नारेबाजी और धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया। तैंतीस वर्ष पूर्व स्थापित इस फैक्ट्री में उत्पादन प्रक्रिया पूरी तरह ठप होने के कारण तीसरी बार तालाबंदी की नौबत आई है। ऎसा माना जा रहा है कि प्रबंधन कई कामगारों की छंटनी के बाद ही फैक्ट्री में उत्पादन प्रक्रिया फिर से शुरू करेगा।
उल्लेखनीय है कि गत 19 दिनों से जे.के. टायर एम्पलाइज यूनियन इंटक की ओर से फैक्ट्री के मुख्य द्वार पर मान्यता देने व चुनाव कराने की मांग को लेकर धरना दिया जा रहा था। सीटू पदाधिकारियों ने फैक्ट्री पर तालाबंदी के लिए इंटक को जिम्मेदार ठहराया है, जबकि इंटक इसे सीटू की गलत नीतियों का नतीजा बता रही है।
-जेके फैक्ट्री प्रबंधन की ओर से शुक्रवार को 'सस्पेंशन ऑफ वर्क' की अघिकारिक सूचना दी गई है। फैक्ट्री प्रबंधन इसे 'लॉक आऊट' नहीं बता रहा है। इससे पूर्व कई चरणों में प्रबंधन और कर्मचारियों की बातचीत हुई थी। कोई ठोस नतीजा नहीं निकलने पर प्रबंधन ने यह कदम उठाया गया है। -औंकार सिंह, जिला कलक्टर, राजसमंद
वेतन और बोनस पर भी संकटजे.के. फैक्ट्री में इंटक के धरना-प्रदर्शन व सभाओं से उत्पादन प्रक्रिया बाघित होने के बाद दिवाली से पूर्व बोनस के संबंध में प्रबंधन व श्रमिक संगठन के बीच कोई वार्ता नहीं हो सकी। हालांकि प्रबंधन ने पहले ही 'काम नहीं तो वेतन नहीं' का ऎलान भी कर दिया था। तालाबंदी के कारण अब फैक्ट्री में कार्यरत 643 बदली श्रमिक, 1395 स्थायी श्रमिक व करीब 500 ठेका श्रमिकों को ना तो बोनस और ना ही वेतन मिल पाएगा।
16 सितम्बर से उत्पादन ठपइंटक की ओर से करीब पौन माह पूर्व 16 सितम्बर से धरना-प्रदर्शन शुरू कर दिया गया था। कई कामगारों के इसमें शामिल होने से फैक्ट्री में उत्पादन प्रक्रिया बाघित होना शुरू हो गई थी। प्रबंधन ने उत्पादन प्रक्रिया बहाली के लिए समाचार पत्रों व पत्रकों के माध्यम से कामगारों से कई बार आग्रह भी किया।
पुलिस ने किया बीच-बचावतालाबंदी के बाद सीटू ने ताले खोलने व इंटक ने चुनाव की मांग को लेकर फैक्ट्री परिसर में जोरदार नारेबाजी शुरू कर दी। परस्पर आरोप-प्रत्यारोप के बीच दोनों संगठनों में झडप की स्थिति पैदा हो गई। इस बीच पहले से ही मौके पर मौजूद भारी पुलिस बल ने बीच-बचाव किया। फैक्ट्री गेट पर संगठनों के पदाघिकारियों-कर्मचारियों का भारी जमावडा होने से कई बार स्थिति तनावपूर्ण बनी। मामले की नजाकत को समझते हुए पुलिस उप अधीक्षक सी.पी. शर्मा के नेतृत्व में भारी संख्या में पुलिस बल, उपखण्ड अघिकारी अशोक कुमार, तहसीलदार अमृतलाल डामोर आदि मौके पर ही डटे रहे।
इंटक कामगारों को भगायाबाहरी गेट पर जमा सीटू पदाघिकारियों ने इंटक से संबद्ध किसी भी कामगार को धरना स्थल की ओर नहीं जाने दिया। कुछ कामगारों के प्रयास करने पर सीटू पदाघिकारी लाल झंडे दिखाते हुए झंडे के डंडे लेकर पीछे दौडे तब उप अधीक्षक सहित अन्य पुलिस कर्मियों ने बीच-बचाव किया।
तीसरी बार तालाबंदीकांकरोली स्थित इस फैक्ट्री में तीसरी बार तालाबंदी की नौबत आई है। अक्टूबर 1976 में स्थापना के बाद सबसे पहले वर्ष 1986 में करीब 21 दिन व 31 दिसम्बर 1995 से करीब 1 माह तक तालाबंदी रही। इस दौरान वर्ष 1987 व 1992 में 54 दिन की हडताल हुई थी। तालाबंदी और हडताल के दौरान हर बार उत्पादन प्रक्रिया बाघित रही थी।
कोई मांग स्वीकार नहीं होगी : प्रबंधनजेके टायर प्रबंधन ने शुक्रवार को फैक्ट्री में 'कार्य के निरस्तीकरण' की घटना को अफसोस जनक बताया है। प्रबंधन के वरिष्ठ उपाध्यक्ष व यूनिट हैड ए.के. मक्कड ने यहां आयोजित प्रेसवार्ता में बताया कि अक्टूबर 08 से श्रम संगठन व प्रबंधन के बीच वर्ष 2011 तक के लिए हुए करार को किसी भी सूरत में न तो रद्द किया जा सकता है और न ही फेरबदल की गुंजाइश है क्योंकि यह करार नब्बे फीसदी कामगारों की सहमति से हुआ था।
इंटक अगर चाहे तो बहुमत का दावा संयुक्त श्रम आयुक्त के सामने पेश करे। करार के तहत कामगारों को ढाई करोड रूपए एरियर के तौर पर दिए जा चुके हैं व साढे तीन करोड रूपए सालाना वेतन के तौर पर दिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्पादन ठप होने से रोजाना साढे तीन करोड रूपए का राजस्व नुकसान हो रहा है और ऎसे में तालाबंदी मजबूरी है। इस बारे में इंटक के प्रदेश अध्यक्ष भैरूलाल मीणा से चर्चा हुई थी और उन्होंने भी इंटक पदाघिकारियों से कारखाना बंद नहीं करने का आग्रह किया था।
मक्कड ने कहा कि जेके प्रबंधन ने हाल ही कारखाने के विस्तार के लिए सौ करोड रूपए की मंजूरी दी थी। अब इस बडे निवेश के संबंध में प्रबंधन सोचने पर मजबूर हो गया है। उन्होंने कहा कि कारखाने से रोजाना 207 टन उत्पादन होता था। इससे राज्य सरकार को सालाना डेढ सौ करोड रूपए राजस्व मिलता है।
इनका कहना हैकरार के लाभ सभी कामगारों ने लिए है, लेकिन कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद इंटक ने कामगारों को भ्रमित करना शुरू कर दिया। हम लोग काम करना चाहते हैं। तालाबंदी से नुकसान उठाना पडेगा। राज्य सरकार ने भी मामले के निस्तारण में कोई रूचि नहीं दिखाई। - बंशीलाल कलाल, महामंत्री सीटू
तालाबंदी प्रबंधन और सीटू की सोची समझी साजिश है। इसका खमियाजा कामगारों को भुगतना पडेगा। करार का पहले दिन से ही विरोध किया जा रहा था। आज की स्थिति के लिए पूरी तरह से सीटू जिम्मेदार है। - वीरेन्द्र मिश्रा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष, इंटक

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