पति के दीर्घायु होने एवं परिवार में सुख-समृद्धि की कामना को लेकर सुहागिनों ने बुधवार को करवा चौथ पर्व पर व्रत रखा और रात्रि में चंद्रमा को अध्र्य देकर पति के हाथों पानी पीया व व्रत खोला। बाजारों में दिनभर करवा पात्र, चूडियां, मेहंदी, शृंगार सामग्री, वस्त्र आदि की दुकानों पर महिलाओं की भीड रही। ब्यूटी पॉर्लर्स में भी महिलाओं की खासी भीड देखी गई। दिन में मुहूर्त में करवा पात्र को भरा गया।
करवे में पानी, रोली, मोली, चावल, गन्ना, काचरा, बोर, सिंघाडा, दूब भरकर उसे लाल वस्त्र से बांधा गया। शाम को सुहागिनों ने नए वस्त्र धारण कर एवं श्ृंगार कर गणेशजी व चौथमाता की कथा का श्रवण किया। रात को महिलाएं चंद्रमा की पूजा-अर्चना के लिए थाल, करवा पात्र आदि लेकर छतों पर पहुंची जहां छलनी से चांद को निहारा तथा पूजा के बाद चंद्रमा को अध्र्य चढाया।
महिलाओं ने 'सोना की सांकली गल मोत्या रो हार करवा चौथ का चांद नै अध्र्य देता जुग-जुग जिए भरतार' बोलते हुए चंद्रमा को अध्र्य दिया। छलनी में पति का चेहरा निहारकर पति के हाथों पानी पीया व व्रत खोला। ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुहागिनों ने परम्परानुसार करवा चौथ का व्रत किया।
करवे में पानी, रोली, मोली, चावल, गन्ना, काचरा, बोर, सिंघाडा, दूब भरकर उसे लाल वस्त्र से बांधा गया। शाम को सुहागिनों ने नए वस्त्र धारण कर एवं श्ृंगार कर गणेशजी व चौथमाता की कथा का श्रवण किया। रात को महिलाएं चंद्रमा की पूजा-अर्चना के लिए थाल, करवा पात्र आदि लेकर छतों पर पहुंची जहां छलनी से चांद को निहारा तथा पूजा के बाद चंद्रमा को अध्र्य चढाया।
महिलाओं ने 'सोना की सांकली गल मोत्या रो हार करवा चौथ का चांद नै अध्र्य देता जुग-जुग जिए भरतार' बोलते हुए चंद्रमा को अध्र्य दिया। छलनी में पति का चेहरा निहारकर पति के हाथों पानी पीया व व्रत खोला। ग्रामीण क्षेत्रों में भी सुहागिनों ने परम्परानुसार करवा चौथ का व्रत किया।
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