राजसमंद। ब्रह्माकुमारी रीटा बहन ने कहा है कि तनाव का मूल कारण हम स्वयं हैं। जब हम अपनी कमजोरियों पर विजय पाएंगे, तभी दूसरों के बीच संबंधों की दूरियां समाप्त करेंगे और खुशी से अपना जीवन जी सकेंगे।
वे रविवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के राजसमंद स्थित केन्द्र में आयोजित अलविदा तनाव मुक्ति शिविर को संबोघित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि तनाव से मुक्ति शब्द का अर्थ खुशी है। हमारे संबंधों में व जीवन में जो तनाव व परेशानियां हैं, उनसे हम कैसे मुक्त हो, संबंधों में कैसे खुशी लाएं, यह अति आवश्यक है।
उन्होंने संबंध का अर्थ बताते हुए कहा कि शुद्ध निर्मल ऊर्जा, संबंधों में संगठन की शक्ति व ज्ञान, समझ एक-दूसरे को समझने से ही हमारे तनाव व चिंताएं कम हो सकती हैं। संबंधों में खुशी लाने के लिए सबसे पहले स्वयं, फिर दूसरे को समझना व इसके बाद प्रकृति व परमात्मा के साथ भी अपना संबंध जोडना चाहिए। परमात्मा की शक्ति का अनुभव कर अपनी समस्याओं को आसानी से सुलझाया जा सकता है। कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बी.के. पूनम बहन ने भी विचार व्यक्त किए।
वे रविवार को प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के राजसमंद स्थित केन्द्र में आयोजित अलविदा तनाव मुक्ति शिविर को संबोघित कर रही थीं। उन्होंने कहा कि तनाव से मुक्ति शब्द का अर्थ खुशी है। हमारे संबंधों में व जीवन में जो तनाव व परेशानियां हैं, उनसे हम कैसे मुक्त हो, संबंधों में कैसे खुशी लाएं, यह अति आवश्यक है।
उन्होंने संबंध का अर्थ बताते हुए कहा कि शुद्ध निर्मल ऊर्जा, संबंधों में संगठन की शक्ति व ज्ञान, समझ एक-दूसरे को समझने से ही हमारे तनाव व चिंताएं कम हो सकती हैं। संबंधों में खुशी लाने के लिए सबसे पहले स्वयं, फिर दूसरे को समझना व इसके बाद प्रकृति व परमात्मा के साथ भी अपना संबंध जोडना चाहिए। परमात्मा की शक्ति का अनुभव कर अपनी समस्याओं को आसानी से सुलझाया जा सकता है। कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी बी.के. पूनम बहन ने भी विचार व्यक्त किए।
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