राजसमंद कुंभलगढ जहां बच्चों को स्कूल से लेने के लिए घरों तक बसें आती है, वहीं क्षेत्र के बारिण्ड गांव से करीब 35 विद्यार्थियों को चार किमी दूर पैदल चल कर गजपुर माध्यमिक विद्यालय में अध्ययन के लिए जाना पडता है।
केलवाडा-राजसमंद मार्ग पर बारिण्ड गांव मुख्य सडक से करीब डेढ किमी अन्दर है। अपने घर से करीब एक घंटे पहले निकलने के बाद सुनसान मार्ग से बालक बालिकाओं को गुजरना पडता है। ऎसे में परिजनों को सडक मार्ग पर दुर्घटना होने का भय सताता रहता है।
गांव में शिक्षाकर्मी योजना के तहत एक मात्र प्राथमिक विद्यालय है। विद्यालय में शिक्षक भी एक ही होने से शिक्षा का स्तर न्यूनतम है। ऎसे में ग्रामीण पहले से ही कक्षा एक से पांचवी तक के अपने नौनिहालों को अन्यत्र गांवों में दाखिला दिला देते हैं। हालात यह है कि गांव में तकरीबन अस्सी फीसदी विद्यार्थी चार से आठ किमी दूर अन्य स्कूलों में तक जा रहे हैं।
इनका कहना है
जिला कार्यालय से विद्यालय क्रमोन्नयन के प्रस्ताव भेजे गए, लेकिन शिक्षाकर्मी विद्यालयों को क्रमोन्नत करने का राज्य सरकार के पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
मुकेश राही, अतिरिक्त जिला शिक्षा अघिकारी राजसमंद
केलवाडा-राजसमंद मार्ग पर बारिण्ड गांव मुख्य सडक से करीब डेढ किमी अन्दर है। अपने घर से करीब एक घंटे पहले निकलने के बाद सुनसान मार्ग से बालक बालिकाओं को गुजरना पडता है। ऎसे में परिजनों को सडक मार्ग पर दुर्घटना होने का भय सताता रहता है।
गांव में शिक्षाकर्मी योजना के तहत एक मात्र प्राथमिक विद्यालय है। विद्यालय में शिक्षक भी एक ही होने से शिक्षा का स्तर न्यूनतम है। ऎसे में ग्रामीण पहले से ही कक्षा एक से पांचवी तक के अपने नौनिहालों को अन्यत्र गांवों में दाखिला दिला देते हैं। हालात यह है कि गांव में तकरीबन अस्सी फीसदी विद्यार्थी चार से आठ किमी दूर अन्य स्कूलों में तक जा रहे हैं।
इनका कहना है
जिला कार्यालय से विद्यालय क्रमोन्नयन के प्रस्ताव भेजे गए, लेकिन शिक्षाकर्मी विद्यालयों को क्रमोन्नत करने का राज्य सरकार के पास कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
मुकेश राही, अतिरिक्त जिला शिक्षा अघिकारी राजसमंद
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