Sunday, November 8, 2009

मेट तरस गए मानदेय को

गिलूण्ड। नरेगा के कार्यो में मेट के रूप में कार्य करने वाले श्रमिकों को लंबे समय से मानदेय नहीं मिला है, जिससे वे मानसिक रूप से परेशान हैं। प्राप्त जानकारी के अनुसार रेलमगरा तहसील के कोटडी ग्राम पंचायत के अधीन चल रहे कार्यो में लगे मेटों को गत दिनों रेलमगरा में आयोजित शिविर में प्रशिक्षण दिया गया।
इस दौरान प्रशिक्षक ने मेटों को राज्य सरकार की ओर से सौ दिन से ज्यादा रोजगार के निर्देश प्राप्त होने सम्बन्धी जानकारी दी। इस आधार पर मेटों ने नरेगा कार्यो में सौ दिन से ज्यादा कार्य किया। अब जब भुगतान की बारी आई तो नरेगा कार्यक्रम अधिकारियों ने इनके द्वारा सौ दिवस से ज्यादा दिन किए गए कार्य को गैर हाजिर के रूप में तब्दील कर दिया।
मेट लादूलाल रेगर, लादूलाल नाई, रूक्मिणी देवी, पुष्कर टेलर आदि ने बताया कि प्रशिक्षण के दौरान प्रशिक्षक के निर्देशों के आधार पर सौ दिन तक रोजगार किया था। सौ दिन के भुगतान के बाद अन्य दिनों की राशि नहीं दी गई ओर मस्टररोल में भी अनुपस्थिति दर्ज की गई।
इनका कहना है...
राज्य सरकार की ओर से प्रशिक्षण के दौरान सौ दिनों से ज्यादा रोजगार कराने के निर्देश मिले थे। कार्यकुशलता के आधार पर मेटों से सौ दिन से ज्यादा कार्य कराया जा सकता है। भुगतान नहीं किया गया तो कलक्टर को अवगत कराना चाहिए।
खेमाराम, प्रशिक्षक, नरेगा प्रशिक्षण कार्यüक्रम
शिकायतकर्ताओं से मिलकर समस्या का निराकरण किया जाएगा। मेट उपलब्ध नहीं होने की दशा में मेट से सौ दिनों से ज्यादा कार्य कराया जा सकता है।
लेहरूलाल अहीर, नरेगा कार्यक्रम अघिकारी, रेलमगरा।
पीने के पानी को तरसे पीपावास के बाशिंदे
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