राजसमंद। प्रदेश भर में शिक्षा विभाग की ओर से किए जा रहे शिक्षकों के समानीकरण के विरोध में राजस्थान शिक्षक संघ (राष्ट्रीय) की प्रांतीय कार्यकारिणी के आह्वान पर जिला शाखा ने भी सोमवार को विरोध प्रदर्शन किया और अतिरिक्त जिला कलक्टर के माध्यम से मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा।
जिलाध्यक्ष प्रभुगिरि गोस्वामी, संगठन मंत्री गिरिजाशंकर पालीवाल, प्रांतीय उपाध्यक्ष यशोदा दशोरा, प्रदेश संगठन मंत्री निरंजन पालीवाल के नेतृत्व में समानीकरण प्रक्रिया पर अपना विरोध प्रदर्शन दर्ज कराया। सभी ने शिक्षकों के समानीकरण की प्रक्रिया पर अविलंब रोक लगाने की मांग की। ज्ञापन में सरकार को अवगत कराया गया कि वर्तमान में शिक्षा विभाग की ओर से समानीकरण के जो मापदण्ड निर्घारित किए गए हैं, वे बहुत दोषपूर्ण और अपारदर्शी हैं। प्राथमिक विद्यालयों में पांच कक्षाओं के लिए कम से कम पांच अध्यापक चाहिए, लेकिन प्रावधान दो का दिया है।
इसी प्रकार उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम आठ शिक्षकों की तुलना में चार शिक्षकों व माध्यमिक विालयों में छह विषयों के लिए चार अध्यापकों का प्रावधान लागू किया जा रहा है। अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के ऎन पहले व बीच शिक्षा सत्र में समानीकरण प्रक्रिया अनुचित है। इस अवसर पर जिले की विभिन्न उप शाखाओं के पदाघिकारी घनश्याम माली, शिवदास वैरागी, राजेश्वर त्रिपाठी, गोवर्द्धनलाल पारीक, शंकरलाल कुमावत सहित कई पदाघिकारी मौजूद थे।
जिलाध्यक्ष प्रभुगिरि गोस्वामी, संगठन मंत्री गिरिजाशंकर पालीवाल, प्रांतीय उपाध्यक्ष यशोदा दशोरा, प्रदेश संगठन मंत्री निरंजन पालीवाल के नेतृत्व में समानीकरण प्रक्रिया पर अपना विरोध प्रदर्शन दर्ज कराया। सभी ने शिक्षकों के समानीकरण की प्रक्रिया पर अविलंब रोक लगाने की मांग की। ज्ञापन में सरकार को अवगत कराया गया कि वर्तमान में शिक्षा विभाग की ओर से समानीकरण के जो मापदण्ड निर्घारित किए गए हैं, वे बहुत दोषपूर्ण और अपारदर्शी हैं। प्राथमिक विद्यालयों में पांच कक्षाओं के लिए कम से कम पांच अध्यापक चाहिए, लेकिन प्रावधान दो का दिया है।
इसी प्रकार उच्च प्राथमिक विद्यालयों में कम से कम आठ शिक्षकों की तुलना में चार शिक्षकों व माध्यमिक विालयों में छह विषयों के लिए चार अध्यापकों का प्रावधान लागू किया जा रहा है। अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के ऎन पहले व बीच शिक्षा सत्र में समानीकरण प्रक्रिया अनुचित है। इस अवसर पर जिले की विभिन्न उप शाखाओं के पदाघिकारी घनश्याम माली, शिवदास वैरागी, राजेश्वर त्रिपाठी, गोवर्द्धनलाल पारीक, शंकरलाल कुमावत सहित कई पदाघिकारी मौजूद थे।
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