राजसमंद। बिना पूंजी का 'व्यापार' और आय लगातार बेशुमार। तमाम सरकारी दावों के उलट यहां अर्थव्यवस्था के सिद्धांत की तरह जितनी मांग है, उतनी आपूर्ति हो रही है। 'फूल' के दम पर फलने-फूलने वाला यह 'बिजनेस' है देसी दारू यानी ठर्रा । जिले की भीम तहसील क्षेत्र में यह कारोबार आम है और बडे पैमाने पर धडल्ले से चल रहा है।
आबकारी विभाग के दस्तावेजों की मानें तो जिले के 89 गांवों में जन समुदाय का एक बडा वर्ग इस धंधे से जुडा हुआ है। यही नहीं, इन गांवों में आबकारी विभाग की ओर से धावा बोल कर एकाघिक भटि्टयों को आए दिन तोड कर वॉश नष्ट भी किया जाता है, लेकिन इस कारोबार पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड रहा है।
कई परिवार हैं निर्भरजिले की भीम तहसील क्षेत्र के कई गांवों में तो पूरे के पूरे परिवार ही ऎसे हैं जो देसी शराब बनाने और उसकी बिक्री कर घर का गुजारा चलाने पर निर्भर हैं। दूसरे नंबर पर नाथद्वारा तहसील और तीसरा स्थान देवगढ तहसील का है। दिन में ग्राहकों की तलाश और रात के अंधेरे में शराब बनाना ही उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। ये लोग देसी शराब अपने खास परिचित को बेचते हैं। कई बार ये आबकारी पुलिस की गिरफ्त में आ जाते हैं, लेकिन छूटने के बाद अन्य विकल्प नहीं होने के कारण फिर से इसी धंधे में लिप्त हो जाते हैं।
राजसमंद वृत्त : 2 तहसील 20 गांवनाथद्वारा वृत्त : 3 तहसील 32 गांवदेवगढ वृत्त : 2 तहसील 37 गांवकुल तीन वृत्त : 89 गांव(नोट: आंकडे आबकारी विभाग की ओर से जारी।)
अपना गड्ढा, अपना अड्डासूत्रों के अनुसार इस कारोबार में लिप्त पिछडी जाति के परिवारों में यह अघोषित प्रथा है कि घर के प्रत्येक सदस्य का अपना गड्ढा होगा। कई बार गड्ढों की संख्या 'परिवार की प्रतिष्ठा आधार' भी मानी जाती है। हर व्यक्ति एक मुखिया के नेतृत्व में अलग-अलग स्थानों पर इस कारोबार का संचालन करता है।
अवैध शराब के सर्वाघिक मामलेअवैध शराब निर्माण, बिक्री, उपभोग आदि की इत्तला पर आबकारी वृत्त कार्यालय राजसमंद, नाथद्वारा व देवगढ की ओर से कई गांवों में लगातार धावे बोले जाते रहे हैं। इनमें नाथद्वारा वृत्त के अधीन नाथद्वारा तहसील के 19, कुंभलगढ तहसील के 9, रेलमगरा तहसील के चार, राजसमंद वृत्त के अधीन राजसमंद तहसील के 11, आमेट तहसील के 9, देवगढ वृत्त के अधीन देवगढ तहसील के 16 व भीम तहसील के सर्वाघिक 21 गांव शामिल हैं।
हां, यह सही है कि नाथद्वारा वृत्त के 32, राजसमंद वृत्त के 20 व देवगढ वृत्त के 39 गांवों को अवैध शराब निर्माण करने वाले गांवों के रूप में चिह्नित किया गया है।-लक्ष्मीनारायण, वृत्त निरीक्षक, आबकारी कार्यालय, राजसमंद वृत्त
आबकारी विभाग के दस्तावेजों की मानें तो जिले के 89 गांवों में जन समुदाय का एक बडा वर्ग इस धंधे से जुडा हुआ है। यही नहीं, इन गांवों में आबकारी विभाग की ओर से धावा बोल कर एकाघिक भटि्टयों को आए दिन तोड कर वॉश नष्ट भी किया जाता है, लेकिन इस कारोबार पर कोई नकारात्मक असर नहीं पड रहा है।
कई परिवार हैं निर्भरजिले की भीम तहसील क्षेत्र के कई गांवों में तो पूरे के पूरे परिवार ही ऎसे हैं जो देसी शराब बनाने और उसकी बिक्री कर घर का गुजारा चलाने पर निर्भर हैं। दूसरे नंबर पर नाथद्वारा तहसील और तीसरा स्थान देवगढ तहसील का है। दिन में ग्राहकों की तलाश और रात के अंधेरे में शराब बनाना ही उनकी दिनचर्या का हिस्सा है। ये लोग देसी शराब अपने खास परिचित को बेचते हैं। कई बार ये आबकारी पुलिस की गिरफ्त में आ जाते हैं, लेकिन छूटने के बाद अन्य विकल्प नहीं होने के कारण फिर से इसी धंधे में लिप्त हो जाते हैं।
राजसमंद वृत्त : 2 तहसील 20 गांवनाथद्वारा वृत्त : 3 तहसील 32 गांवदेवगढ वृत्त : 2 तहसील 37 गांवकुल तीन वृत्त : 89 गांव(नोट: आंकडे आबकारी विभाग की ओर से जारी।)
अपना गड्ढा, अपना अड्डासूत्रों के अनुसार इस कारोबार में लिप्त पिछडी जाति के परिवारों में यह अघोषित प्रथा है कि घर के प्रत्येक सदस्य का अपना गड्ढा होगा। कई बार गड्ढों की संख्या 'परिवार की प्रतिष्ठा आधार' भी मानी जाती है। हर व्यक्ति एक मुखिया के नेतृत्व में अलग-अलग स्थानों पर इस कारोबार का संचालन करता है।
अवैध शराब के सर्वाघिक मामलेअवैध शराब निर्माण, बिक्री, उपभोग आदि की इत्तला पर आबकारी वृत्त कार्यालय राजसमंद, नाथद्वारा व देवगढ की ओर से कई गांवों में लगातार धावे बोले जाते रहे हैं। इनमें नाथद्वारा वृत्त के अधीन नाथद्वारा तहसील के 19, कुंभलगढ तहसील के 9, रेलमगरा तहसील के चार, राजसमंद वृत्त के अधीन राजसमंद तहसील के 11, आमेट तहसील के 9, देवगढ वृत्त के अधीन देवगढ तहसील के 16 व भीम तहसील के सर्वाघिक 21 गांव शामिल हैं।
हां, यह सही है कि नाथद्वारा वृत्त के 32, राजसमंद वृत्त के 20 व देवगढ वृत्त के 39 गांवों को अवैध शराब निर्माण करने वाले गांवों के रूप में चिह्नित किया गया है।-लक्ष्मीनारायण, वृत्त निरीक्षक, आबकारी कार्यालय, राजसमंद वृत्त
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