राजसमंद। तमाम उम्र सेवा के बाद बुढापा हावी होने पर सरकारी नियमों के मुताबिक 'आराम से शेष दिन काटने' के लिए सेवानिवृत्त हो गए लेकिन चक्कर काटने की समस्याएं जस की तस रहे तो इसे दुर्भाग्य कहा जाए या कुछ और।
कुछ ऎसा ही हाल अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के करीब 600 पेंशनधारकों अथवा मृतक कर्मचारियों के आश्रितों के साथ हो रहा है। जिले के एवीवीएनएल से जुडे इन पेंशनधारकों ने निगम के निर्देशों पर दो वर्ष पूर्व बैंकों में खाते खुलवा कर इसकी जानकारी निगम को दे दी लेकिन अब भी उन्हें पेंशन की राशि प्राप्त करने के लिए घर से कार्यालय के चक्कर काटने पड रहे हैं।
यह पीडा केवल जिला मुख्यालय पर निवासरत पेंशनधारकों की ही नहीं वरन मुख्यालय से कई किलोमीटर दूर रहने वाले पेंशनधारक कर्मचारियों-आश्रितों की है। ग्लोबल वल्र्ड के इस दौर में भी उन्हें पेंशन के तौर पर मिलने वाली राशि के लिए एकाघिक दिन निगम कर्मचारियों की भेंट चढाने पडते हैं।
कोई यहां से, कोई वहां से
पेंशनधारकों में निगम के अलग-अलग उपखण्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारी अथवा मृत कर्मचारियों के आश्रित (विधवाएं) शामिल हैं। इनमें से कोई चांदगढ से, कोई पुनावली से तो कोई गंगापुर का निवासी है। करीब 600 पेंशनधारकों के रोज-रोज के झमेलों से मुक्ति के लिए दो वर्ष पूर्व निगम ने सभी को एसबीबीजे बैंक में खाता खुलवाने और खाता संख्या निगम को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। तकरीबन सभी पेंशनधारकों ने निर्देशों की पालना में खाते खुलवाकर खाता संख्या कार्यालय को उपलब्ध करा दी।
सात से दस तक चक्कर
पेंशनधारक हर माह सात तारीख से कार्यालय के चक्कर लगाना आरंभ करते हैं। लेखाघिकारी के किसी कार्य की वजह से बाहर जाने की स्थिति में आठ या नौ तारीख को भी चक्कर ही काटने पडते हैं। कई बार तकनीकी त्रुटियों की वजह से राशि का भुगतान आधा माह बीतने पर भी नहीं हो पाता।
इनका कहना है...
बैंकों में खाते तो खुल गए हैं लेकिन पेंशनधारकों ने बैंक में राशि जमा कराने के सहमति पत्र नहीं दिए हैं, इसलिए राशि नकद ही दी जा रही है। नकद राशि देने में वास्तविक पेंशनधारकों को तस्दीक करने जैसी किसी तरह की समस्या रहती है।
एस.के.सोनी, लेखाघिकारी, एवीवीएनएल
कुछ ऎसा ही हाल अजमेर विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के करीब 600 पेंशनधारकों अथवा मृतक कर्मचारियों के आश्रितों के साथ हो रहा है। जिले के एवीवीएनएल से जुडे इन पेंशनधारकों ने निगम के निर्देशों पर दो वर्ष पूर्व बैंकों में खाते खुलवा कर इसकी जानकारी निगम को दे दी लेकिन अब भी उन्हें पेंशन की राशि प्राप्त करने के लिए घर से कार्यालय के चक्कर काटने पड रहे हैं।
यह पीडा केवल जिला मुख्यालय पर निवासरत पेंशनधारकों की ही नहीं वरन मुख्यालय से कई किलोमीटर दूर रहने वाले पेंशनधारक कर्मचारियों-आश्रितों की है। ग्लोबल वल्र्ड के इस दौर में भी उन्हें पेंशन के तौर पर मिलने वाली राशि के लिए एकाघिक दिन निगम कर्मचारियों की भेंट चढाने पडते हैं।
कोई यहां से, कोई वहां से
पेंशनधारकों में निगम के अलग-अलग उपखण्ड के सेवानिवृत्त कर्मचारी अथवा मृत कर्मचारियों के आश्रित (विधवाएं) शामिल हैं। इनमें से कोई चांदगढ से, कोई पुनावली से तो कोई गंगापुर का निवासी है। करीब 600 पेंशनधारकों के रोज-रोज के झमेलों से मुक्ति के लिए दो वर्ष पूर्व निगम ने सभी को एसबीबीजे बैंक में खाता खुलवाने और खाता संख्या निगम को उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। तकरीबन सभी पेंशनधारकों ने निर्देशों की पालना में खाते खुलवाकर खाता संख्या कार्यालय को उपलब्ध करा दी।
सात से दस तक चक्कर
पेंशनधारक हर माह सात तारीख से कार्यालय के चक्कर लगाना आरंभ करते हैं। लेखाघिकारी के किसी कार्य की वजह से बाहर जाने की स्थिति में आठ या नौ तारीख को भी चक्कर ही काटने पडते हैं। कई बार तकनीकी त्रुटियों की वजह से राशि का भुगतान आधा माह बीतने पर भी नहीं हो पाता।
इनका कहना है...
बैंकों में खाते तो खुल गए हैं लेकिन पेंशनधारकों ने बैंक में राशि जमा कराने के सहमति पत्र नहीं दिए हैं, इसलिए राशि नकद ही दी जा रही है। नकद राशि देने में वास्तविक पेंशनधारकों को तस्दीक करने जैसी किसी तरह की समस्या रहती है।
एस.के.सोनी, लेखाघिकारी, एवीवीएनएल
No comments:
Post a Comment