Sunday, November 22, 2009

जिंदगी की जंग

देवगढ। वह पिछले चार वर्ष से जिंदगी व मौत की जंग लड रहा है, लेकिन कोई उसकी सहायता करने वाला कोई नहीं है। इलाज के लिए उसने अपनी जमीन, खेत व कुएं सब कुछ बेच दिया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।
यह दास्तान है निकटवर्ती भैरागुढा निवासी नैनूसिंह पुत्र भैरूसिंह रावत की। परिवार में सात सदस्यो का मुखिया नैनूसिंह सात वर्ष पूर्व अहमदाबाद में कपडे की फैक्ट्री में काम करते समय ऊंचाई से गिरने के कारण वह जख्मी हो गया, जिससे उसकी रीढ की हड्डी में चोट लग गई और धीरे-धीरे पुट्ठे गायब हो गए और वह बैठने की स्थिति में भी नहीं रहा। इस दौरान उसकी दोनाें जांघें भी आपस में चिपक गईं जिससे वह चलने-फिरने लायक भी नहीं रहा। आज वह खाट पर एक करवट ही सो सकता है और उसे उठाने व बैठाने के लिए भी सहारे की आवश्यकता होती है।
बीपीएल में नाम नहीं बीपीएल सूची में नाम नहीं होने के कारण भी उसे मुफ्त इलाज की सुविधा नहीं मिलने के साथ पेंशन भी नहीं मिल सकती। घर चलाने और दो वक्त की रोटी का गुजारा करने के लिए अब उसकी पत्नी नरेगा में काम कर रही है।
दिलवाए 50 हजारइन सारी परिस्थितियो के बारे में जब विधायक हरिसिंह रावत को जानकारी मिली तो उन्होंने मुख्यमंत्री सहायता कोष से उसके इलाज के लिए 50 हजार रूपए स्वीकृत करवाए, लेकिन सवाई मानसिंह चिकित्सालय जयपुर में उसके ऑपरेशन का खर्च चिकित्सको ने 4 लाख रूपए बताया। इससे मुख्यमंत्री कोष से मिला 50 हजार का चैक भी बेमानी हो गया। वह चैक अब भी सवाई मानसिंह चिकित्सालय में जमा है।

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