कुंभलगढ। केंद्र व राज्य सरकार जहां एक ओर गरीब व मध्यम वर्ग के रोगियों को राहत देने के लिए चिकित्सकों पर जेनेरिक दवाइयां लिखने के लिए दबाव बना रही है, वहीं बाजार में दवाइयों की कंपनियां उन्हीं जेनेरिक दवाइयों पर दुगुनी से भी अधिक एमआरपी अंकित कर मरीजों की जेब हल्की कर रही हैं। जिले व ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित सहकारी दवा घरों को छोड कर अन्य सभी मेडिकल स्टोर पर जेनेरिक दवाइयां अधिकतम खुदरा मूल्य पर बिक रही हैं।
दवा की पन्नियों पर दुगुने से भी ज्यादा मूल्य अंकित है। आम तौर पर उल्टी, दस्त, बुखार, पेट दर्द, खांसी व हाथ-पैर में दर्द सहित रोजमर्रा की दवाइयां जेनेरिक कहलाती हैं। हालांकि जेनेरिक दवाइयां लेने से मरीज को शीघ्र आराम नहीं मिलता और उस पर ज्यादा आर्थिक भार भी पडता है। जानकारों का कहना है कि जब तक दवा कम्पनियों की ओर से मरीजों को इथिकल व जेनेरिक मे कोई ठोस अंतर नहीं बताया जाएगा, तब तक मेडिकल व्यवसाइयों की धांधली नहीं रूकेगी।
ऎसे काट रहे मरीजों की जेब- सीविजरा कंपनी की इथिकल एंटीबायोटिकदवा वैक्टाफ-ओ-जैड की दस गोलियां 61 रूपए में बिक रही हैं। इसी कंपनी की सीविजमेट नाम से बाजार में चलने वाली जेनेरिक दस गोलियां 21.32 रूपए में बेची जा रही हैं, लेकिन पत्ते पर कीमत 80 रूपए अंकित है। - रेनबेक्सी की सिफ्रॉन 500 इथिकल की दस गोलियां 98 रूपए 60 55 पैसे में बिक रही हंै। - जेनेरिक में निकोलस पिरामल की फ्लोक्सीन 500 नामक गोलियों पर अधिकतम खुदरा मूल्य 61 रूपए 80 पैसे दर्ज है। इसकी वास्तविक कीमत मात्र 22 रूपए है। - ब्लड प्रेशर के लिए इथिकल में इंटास कम्पनी की एमटॉस एटी नामक दस गोलियों का मूल्य 38 रूपए 55 पैसे है। - जेनेरिक में जर्मन रेमेडीज कम्पनी की एम्लोमेड एटी की दस गोलियां 28 रूपए में बिक रही हंै। इस दवा की वास्तविक कीमत 7 रूपए 10 पैसे है। - एलर्जी के लिए सिप्ला कम्पनी की इथिकल एलरिड नामक दस गोलियां 37 रूपए 50 पैसे में बिक रही हैं। इसी कम्पनी की जेनेरिक सेटसीप नामक दस गोलियों पर 25 रूपए एमआरपी है। हालांकि इसकी वास्तविक कीमत मात्र तीन रूपए है।
दवा का मूल्य निर्धारित या उस पर अंकित करना केंद्र सरकार का अधिकार है। सहकारी उपभोक्ता भंडार पर जेनेरिक दवाइयां वास्तविक मूल्य पर मिलेंगी, निजी मेडिकल व्यवसायी अधिकतम खुदरा मूल्य पर दवा बेच सकते हैं। यह केंद्र सरकार की पॉलिसी है। ड्रग प्राइज कं टोल ऑर्डर के तहत हम निजी मेडिकल व्यवसायी को दवा कम मुनाफे से बेचने के लिए कह सकते हैं, लेकिन बाध्य नहीं कर सकते।-सुरेश सामर जिला औषधि नियंत्रण अधिकारी
दवा की पन्नियों पर दुगुने से भी ज्यादा मूल्य अंकित है। आम तौर पर उल्टी, दस्त, बुखार, पेट दर्द, खांसी व हाथ-पैर में दर्द सहित रोजमर्रा की दवाइयां जेनेरिक कहलाती हैं। हालांकि जेनेरिक दवाइयां लेने से मरीज को शीघ्र आराम नहीं मिलता और उस पर ज्यादा आर्थिक भार भी पडता है। जानकारों का कहना है कि जब तक दवा कम्पनियों की ओर से मरीजों को इथिकल व जेनेरिक मे कोई ठोस अंतर नहीं बताया जाएगा, तब तक मेडिकल व्यवसाइयों की धांधली नहीं रूकेगी।
ऎसे काट रहे मरीजों की जेब- सीविजरा कंपनी की इथिकल एंटीबायोटिकदवा वैक्टाफ-ओ-जैड की दस गोलियां 61 रूपए में बिक रही हैं। इसी कंपनी की सीविजमेट नाम से बाजार में चलने वाली जेनेरिक दस गोलियां 21.32 रूपए में बेची जा रही हैं, लेकिन पत्ते पर कीमत 80 रूपए अंकित है। - रेनबेक्सी की सिफ्रॉन 500 इथिकल की दस गोलियां 98 रूपए 60 55 पैसे में बिक रही हंै। - जेनेरिक में निकोलस पिरामल की फ्लोक्सीन 500 नामक गोलियों पर अधिकतम खुदरा मूल्य 61 रूपए 80 पैसे दर्ज है। इसकी वास्तविक कीमत मात्र 22 रूपए है। - ब्लड प्रेशर के लिए इथिकल में इंटास कम्पनी की एमटॉस एटी नामक दस गोलियों का मूल्य 38 रूपए 55 पैसे है। - जेनेरिक में जर्मन रेमेडीज कम्पनी की एम्लोमेड एटी की दस गोलियां 28 रूपए में बिक रही हंै। इस दवा की वास्तविक कीमत 7 रूपए 10 पैसे है। - एलर्जी के लिए सिप्ला कम्पनी की इथिकल एलरिड नामक दस गोलियां 37 रूपए 50 पैसे में बिक रही हैं। इसी कम्पनी की जेनेरिक सेटसीप नामक दस गोलियों पर 25 रूपए एमआरपी है। हालांकि इसकी वास्तविक कीमत मात्र तीन रूपए है।
दवा का मूल्य निर्धारित या उस पर अंकित करना केंद्र सरकार का अधिकार है। सहकारी उपभोक्ता भंडार पर जेनेरिक दवाइयां वास्तविक मूल्य पर मिलेंगी, निजी मेडिकल व्यवसायी अधिकतम खुदरा मूल्य पर दवा बेच सकते हैं। यह केंद्र सरकार की पॉलिसी है। ड्रग प्राइज कं टोल ऑर्डर के तहत हम निजी मेडिकल व्यवसायी को दवा कम मुनाफे से बेचने के लिए कह सकते हैं, लेकिन बाध्य नहीं कर सकते।-सुरेश सामर जिला औषधि नियंत्रण अधिकारी
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