राजसमंद आम के आम गुठलियों के दाम, शहद का स्वाद कभी फीका नहीं होता...। इन दिनों रेलमगरा पंचायत समिति क्षेत्र के गिलूण्ड व आसपास के इलाकों में क्षेत्रीय काश्तकार अजवाइन की फसल के साथ मधुमक्खी पालन कर दोहरा लाभ कमा रहे हैं, उन्हें इसके लिए बाकायदा प्रशिक्षित किया जा रहा है।
डबल फायदे का यह कारोबार गिलूण्ड से मातृकुण्डिया मार्ग पर डिण्डोली फीडर के किनारे अजवाइन के तीन खेतों में किया जा रहा है। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन बोर्ड से प्रशिक्षित मध्य प्रदेश के कुछ मधुमक्खी पालक परिवार इन दिनों इस क्षेत्र में अजवाइन के खेतों में यह व्यवसाय कर क्षेत्र के काश्तकारों को अपनी आमदनी बढाने के जरिये बता रहे हैं।
ऎसे होता है मधुमक्खी पालनमधुमक्खी पालन व्यवसाय से जुडे मुरैना (मध्य प्रदेश) के निवासी नरेशकुमार त्यागी ने बताया कि इस व्यवसाय के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन बोर्ड की ओर से मानक नाप के लकडी के बक्से प्रदान किए जाते हैं। प्रत्येक बक्से में 30 हजार से एक लाख की संख्या तक मधुमक्खियां होती हैं। प्रत्येक बक्से में एक मादा रानी रहती है, जो बक्से में ही रह कर अण्डे देने का कार्य करती है। शेष बक्से से बाहर जाकर पराग लाने व शहद बनाने का काम करती हंै। उन्होंने बताया कि इस परिवार के सदस्य खेतों में से पराग लाकर पुन: उसी बक्से में ही प्रवेश करते हैं।
स्थापित होते हैं चार सौ बक्सेएक एक खेत में तीन से चार सौ बक्सों को स्थापित किया जाता है। इन बक्सों में लकडियों के फ्रेमनुमा ढांचे पर मोम का बना कृत्रिम छत्ता लगाया जाता है जिस पर मधुमक्खियां छत्ता बना कर रहने व शहद बनाने का काम करती हैं। फसल पर फूल रहने तक यह क्रम जारी रहता है। फसलों में फूल समाप्त होने के समय तक प्रत्येक बक्से में सात से आठ किलो तक शहद बन कर तैयार हो जाता है।
फसल पैदावार में भी वृद्धि इस व्यवसाय से जुडे किसानों का कहना है कि मधुमक्खियों द्वारा फूलों से किए जाने वाले पर परागण से फसल बढती है। यह सब कुछ इतना प्राकृतिक तरीके से किया जाता है कि इससे मधुमक्खियां नष्ट होने का भी कोई खतरा नहीं रहने के साथ बाजार में जाने वाले शहद में कोई मिलावट नहीं रहती। उन्होंने बताया कि मधुमक्खियों द्वारा फसलों के फूलों से लिए जाने वाले पराग से उपज में 10 से 50 फीसदी तक बढोतरी भी हो जाती है।
ऎसे निकलता है शहदछत्तों को बक्सों से निकाल कर विशेष प्रकार से बनाई गई हस्तचलित मशीन में लगी लोहे की पत्तियों के सहारे खडा कर मशीन को घुमाया जाता है जिससे छत्ते का पूरा शहद नीचे निकल कर एकत्रित हो जाता है। विशेष रूप से तैयार की गई यह मशीन पूणत: हस्तचलित होने से इसमें मधुमक्खियां मरने का किसी प्रकार का खतरा नहीं रहता। बाद में इस शहद को मशीन के पैंदे में लगी टूंटी से डिब्बों में भर कर बाजार में बिक्री के लिए ले जाया जाता है।
डबल फायदे का यह कारोबार गिलूण्ड से मातृकुण्डिया मार्ग पर डिण्डोली फीडर के किनारे अजवाइन के तीन खेतों में किया जा रहा है। राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन बोर्ड से प्रशिक्षित मध्य प्रदेश के कुछ मधुमक्खी पालक परिवार इन दिनों इस क्षेत्र में अजवाइन के खेतों में यह व्यवसाय कर क्षेत्र के काश्तकारों को अपनी आमदनी बढाने के जरिये बता रहे हैं।
ऎसे होता है मधुमक्खी पालनमधुमक्खी पालन व्यवसाय से जुडे मुरैना (मध्य प्रदेश) के निवासी नरेशकुमार त्यागी ने बताया कि इस व्यवसाय के लिए राष्ट्रीय मधुमक्खी पालन बोर्ड की ओर से मानक नाप के लकडी के बक्से प्रदान किए जाते हैं। प्रत्येक बक्से में 30 हजार से एक लाख की संख्या तक मधुमक्खियां होती हैं। प्रत्येक बक्से में एक मादा रानी रहती है, जो बक्से में ही रह कर अण्डे देने का कार्य करती है। शेष बक्से से बाहर जाकर पराग लाने व शहद बनाने का काम करती हंै। उन्होंने बताया कि इस परिवार के सदस्य खेतों में से पराग लाकर पुन: उसी बक्से में ही प्रवेश करते हैं।
स्थापित होते हैं चार सौ बक्सेएक एक खेत में तीन से चार सौ बक्सों को स्थापित किया जाता है। इन बक्सों में लकडियों के फ्रेमनुमा ढांचे पर मोम का बना कृत्रिम छत्ता लगाया जाता है जिस पर मधुमक्खियां छत्ता बना कर रहने व शहद बनाने का काम करती हैं। फसल पर फूल रहने तक यह क्रम जारी रहता है। फसलों में फूल समाप्त होने के समय तक प्रत्येक बक्से में सात से आठ किलो तक शहद बन कर तैयार हो जाता है।
फसल पैदावार में भी वृद्धि इस व्यवसाय से जुडे किसानों का कहना है कि मधुमक्खियों द्वारा फूलों से किए जाने वाले पर परागण से फसल बढती है। यह सब कुछ इतना प्राकृतिक तरीके से किया जाता है कि इससे मधुमक्खियां नष्ट होने का भी कोई खतरा नहीं रहने के साथ बाजार में जाने वाले शहद में कोई मिलावट नहीं रहती। उन्होंने बताया कि मधुमक्खियों द्वारा फसलों के फूलों से लिए जाने वाले पराग से उपज में 10 से 50 फीसदी तक बढोतरी भी हो जाती है।
ऎसे निकलता है शहदछत्तों को बक्सों से निकाल कर विशेष प्रकार से बनाई गई हस्तचलित मशीन में लगी लोहे की पत्तियों के सहारे खडा कर मशीन को घुमाया जाता है जिससे छत्ते का पूरा शहद नीचे निकल कर एकत्रित हो जाता है। विशेष रूप से तैयार की गई यह मशीन पूणत: हस्तचलित होने से इसमें मधुमक्खियां मरने का किसी प्रकार का खतरा नहीं रहता। बाद में इस शहद को मशीन के पैंदे में लगी टूंटी से डिब्बों में भर कर बाजार में बिक्री के लिए ले जाया जाता है।
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