राजसमंद। कांकरोली की जेके ग्राम स्थित जेके टायर फैक्ट्री में तीसरे दिन सोमवार को भी स्थिति तनावपूर्ण रही। हालांकि प्रशासनिक अमले की मौजूदगी के चलते अशांति नहीं हो पाई। फैक्ट्री परिसर में पचास से अघिक पुलिस जवान तैनात रहे। वहीं संयंत्र के भीतर भी अलग-अलग शिफ्टों में जवान तैनात किए गए हैं। मौके पर तहसीलदार सहित प्रशासनिक अमला मौजूद रहा।
तीसरे दिन सोमवार को भी सुबह की शिफ्ट के दौरान कामगारों में तू-तू, मैं-मैं की स्थिति बन गई जिस पर पुलिस ने बीच बचाव कर शांति कायम की। हालात पर नजर रखने के लिए तहसीलदार शैलेष सुराणा और वृत्त निरीक्षक निरंजन आल्हा मौके पर ही रहे। बी-शिफ्ट के दौरान कामगार शांति से अंदर गए, व अंदर से भी शांतिपूर्वक बाहर निकले। फैक्ट्री के मुख्य द्वार पर बडी संख्या में पुलिस जाब्ता तैनात रहा।
ध्यान रहे कि57 दिनों तक सस्पेंशन ऑफ फैक्ट्री ऑपरेशन के बाद 28 नवम्बर को राज्य सरकार के आदेश पर बी-शिफ्ट से फैक्ट्री में कामगारों को प्रवेश दिया गया। दोनों ही श्रमिक संगठनों में तनाव और मारपीट के चलते पहले और दूसरे दिन कोई काम नहीं हुआ।
नहीं देंगे वेतनफैक्ट्री खुलने के दूसरे ही दिन जेके प्रबंधन ने एक और आदेश जारी कर दिया। जिला प्रशासन सहित राज्य सरकार व प्रमुख अघिकारियों को इसकी प्रतिलिपि भेज कर जेके प्रबंधन ने घोषणा कर दी कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन के बीच-बचाव के बाद फैक्ट्री खोल दी गई है, लेकिन श्रमिक कोई काम नहीं कर रहे हैं, इस कारण उन्हें ड्यूटी पर होने के बावजूद वेतन नहीं दिया जाएगा।
नहीं चली मुख्य मशीनजेके प्रबंधन के उपाध्यक्ष एके मक्कड के अनुसार कामगारों ने सोमवार को कुछ मशीनों पर काम किया, लेकिन मुख्य मशीन नहीं चलने के कारण उत्पादन नहीं हो पाया।
हम फैक्ट्री यहीं चलाना चाहते हैं, लेकिन हम पर लगातार दबाव बढता जा रहा है। हम पहले ही तीन सौ करोड का घाटा उठा चुके हैं। हम ना तो करार रद्द करेंगे और ना इंटक को मान्यता देंगे। राज्य सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि एक बडे उद्योग में कोई विवाद हुआ है तो उस विवाद को शांत कराएं।-ए.के. मक्कड, वाइस प्रेसीडेंट वक्र्स, जेके फैक्ट्री
हमें राज् सरकार की ओर से औद्योगिक विवाद (राजस्थान संशोधन अघिनियम 1947) की धारा दस-के की पालना के आदेश मिले थे। हमने आदेश की पालना कराई है। अब जेके प्रबंधन का जिम्मा है कि वह अपने कामगारों से कैसे काम लेता है।- औंकारसिंह, कलक्टर, राजसमंद
तीसरे दिन सोमवार को भी सुबह की शिफ्ट के दौरान कामगारों में तू-तू, मैं-मैं की स्थिति बन गई जिस पर पुलिस ने बीच बचाव कर शांति कायम की। हालात पर नजर रखने के लिए तहसीलदार शैलेष सुराणा और वृत्त निरीक्षक निरंजन आल्हा मौके पर ही रहे। बी-शिफ्ट के दौरान कामगार शांति से अंदर गए, व अंदर से भी शांतिपूर्वक बाहर निकले। फैक्ट्री के मुख्य द्वार पर बडी संख्या में पुलिस जाब्ता तैनात रहा।
ध्यान रहे कि57 दिनों तक सस्पेंशन ऑफ फैक्ट्री ऑपरेशन के बाद 28 नवम्बर को राज्य सरकार के आदेश पर बी-शिफ्ट से फैक्ट्री में कामगारों को प्रवेश दिया गया। दोनों ही श्रमिक संगठनों में तनाव और मारपीट के चलते पहले और दूसरे दिन कोई काम नहीं हुआ।
नहीं देंगे वेतनफैक्ट्री खुलने के दूसरे ही दिन जेके प्रबंधन ने एक और आदेश जारी कर दिया। जिला प्रशासन सहित राज्य सरकार व प्रमुख अघिकारियों को इसकी प्रतिलिपि भेज कर जेके प्रबंधन ने घोषणा कर दी कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन के बीच-बचाव के बाद फैक्ट्री खोल दी गई है, लेकिन श्रमिक कोई काम नहीं कर रहे हैं, इस कारण उन्हें ड्यूटी पर होने के बावजूद वेतन नहीं दिया जाएगा।
नहीं चली मुख्य मशीनजेके प्रबंधन के उपाध्यक्ष एके मक्कड के अनुसार कामगारों ने सोमवार को कुछ मशीनों पर काम किया, लेकिन मुख्य मशीन नहीं चलने के कारण उत्पादन नहीं हो पाया।
हम फैक्ट्री यहीं चलाना चाहते हैं, लेकिन हम पर लगातार दबाव बढता जा रहा है। हम पहले ही तीन सौ करोड का घाटा उठा चुके हैं। हम ना तो करार रद्द करेंगे और ना इंटक को मान्यता देंगे। राज्य सरकार और प्रशासन की जिम्मेदारी है कि एक बडे उद्योग में कोई विवाद हुआ है तो उस विवाद को शांत कराएं।-ए.के. मक्कड, वाइस प्रेसीडेंट वक्र्स, जेके फैक्ट्री
हमें राज् सरकार की ओर से औद्योगिक विवाद (राजस्थान संशोधन अघिनियम 1947) की धारा दस-के की पालना के आदेश मिले थे। हमने आदेश की पालना कराई है। अब जेके प्रबंधन का जिम्मा है कि वह अपने कामगारों से कैसे काम लेता है।- औंकारसिंह, कलक्टर, राजसमंद
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