कुंभलगढ। महाराणा प्रताप को प्रात: स्मरणीय मानने वाले प्रताप प्रेमियों के लिए यह दुख भरी खबर है कि विश्व इतिहास में राजस्थान का नाम सुनहरे अक्षरों में दर्ज करवाने वाले मेवाड शिरोमणि महाराणा प्रताप की प्रतिमा का स्थल यहां 'अवैध' घोषित कर रखा है। मामला कुंभलगढ के ओधी चौराहे पर महाराणा प्रताप की स्थापित प्रतिमा से जुडा है। लालफीताशाही और दलगत राजनीति के भंवर में फंसी यह प्रतिमा स्थल आज भी अपनी 'वैधता' का इंतजार कर रहा है।
यह है हालइस प्रकार बिना किसी औपचारिक आयोजन व प्रशासनिक स्वीकृति के स्थापित प्रताप की प्रतिमा का स्थल तब से लेकर आज तक अपनी 'वैधता' का इंतजार कर रहा है, लेकिन इसकी कोई सुध नहीं ले रहा है। वर्तमान में भी यह प्रतिमा जिस पैडस्टल पर स्थापित है, वह अधूरा पडा है। प्रतिमा के ऊपर छतरी और चारों तरफ की सुरक्षा रैलिंग के बारे में भी कुछ पता नहीं है।
यह है मामलालगभग दो वर्ष पूर्व महाराणा प्रताप की से जुडे यादगार कुंभलगढ में महाराणा प्रताप की आदमकद प्रतिमा लगने का निर्णय हुआ था। यह प्रतिमा स्थानीय पंचायत समिति व सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से निर्घारित स्थान पर लगाना तय हुआ था, जिसके लिए दोनों जिम्मेदार एजेंसियों ने ओधी चौराहे पर स्थान निर्धारित किया। इसके बाद पंचायत समिति की ओर से प्रतिमा के लिए चौराहे के बीच में पैडस्टल तैयार करवाया गया, लेकिन यह चौराहे के बीचोंबीच होने से राज्य सरकार ने जिला व स्थानीय प्रशासन को इसे हटा कर दूसरी सुरक्षित जगह बनाने के आदेश दिए थे।
इस बात की जब कुछ प्रताप भक्तों को भनक लगी तो उन्होंने प्रताप की प्रतिमा को रातोंरात ही तैयार किए जा रहे अधूरे पडे पैडस्टल पर लगा दिया। इस पर मामला उलझ गया और इसके बाद मौके पर पहुंचे विधायक व तत्कालीन सिंचाई राज्य मंत्री सुरेन्द्रसिंह राठौड ने मौजूद प्रशासनिक अघिकारियों को राज्य सरकार से वैधानिक स्वीकृति लाने का आश्वासन देने के साथ एक सप्ताह बाद आ रही प्रताप जयंती पर जिला प्रशासन की मौजूदगी में धूमधाम से इसका अनावरण करवाने का भरोसा दिलाया। बाद में स्वीकृति तो नहीं आई, लेकिन कुछ दिन बाद ही स्थानीय प्रताप भक्तों व प्रधान ने प्रतिमा से कपडा हटा कर अनावरण कर दिया।
इनका कहना हैमुझे इस बात की जानकारी नहीं है। तथ्यों की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। -उमाशंकर शर्मा, विकास अघिकारी
अभी पैडस्टल अधूरा है। मैं इसके लिए बात करूंगी। प्रतिमा की सुरक्षा के लिए आपसी बातचीत कर व्यवस्था की जाएगी।-कमला जोशी, प्रधान पंचायत समिति कुंभलगढ
मैंने जबरन लगाई गई इस प्रतिमा के अनावरण के लिए मना किया था। फिर भी जनता ने कैसे कर दिया, यह मेरी जानकारी में नहीं है।-सुरेन्द्रसिंह राठौड, पूर्व सिंचाई राज्यमंत्री व विधायक कुंभलगढ
राज्य सरकार ने अगर इसे अवैध घोषित किया है तो नियमानुसार जो भी संभव होगा, कार्रवाई की जाएगी। - गणेशसिंह परमार,विधायक कुंभलगढ
यह है हालइस प्रकार बिना किसी औपचारिक आयोजन व प्रशासनिक स्वीकृति के स्थापित प्रताप की प्रतिमा का स्थल तब से लेकर आज तक अपनी 'वैधता' का इंतजार कर रहा है, लेकिन इसकी कोई सुध नहीं ले रहा है। वर्तमान में भी यह प्रतिमा जिस पैडस्टल पर स्थापित है, वह अधूरा पडा है। प्रतिमा के ऊपर छतरी और चारों तरफ की सुरक्षा रैलिंग के बारे में भी कुछ पता नहीं है।
यह है मामलालगभग दो वर्ष पूर्व महाराणा प्रताप की से जुडे यादगार कुंभलगढ में महाराणा प्रताप की आदमकद प्रतिमा लगने का निर्णय हुआ था। यह प्रतिमा स्थानीय पंचायत समिति व सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से निर्घारित स्थान पर लगाना तय हुआ था, जिसके लिए दोनों जिम्मेदार एजेंसियों ने ओधी चौराहे पर स्थान निर्धारित किया। इसके बाद पंचायत समिति की ओर से प्रतिमा के लिए चौराहे के बीच में पैडस्टल तैयार करवाया गया, लेकिन यह चौराहे के बीचोंबीच होने से राज्य सरकार ने जिला व स्थानीय प्रशासन को इसे हटा कर दूसरी सुरक्षित जगह बनाने के आदेश दिए थे।
इस बात की जब कुछ प्रताप भक्तों को भनक लगी तो उन्होंने प्रताप की प्रतिमा को रातोंरात ही तैयार किए जा रहे अधूरे पडे पैडस्टल पर लगा दिया। इस पर मामला उलझ गया और इसके बाद मौके पर पहुंचे विधायक व तत्कालीन सिंचाई राज्य मंत्री सुरेन्द्रसिंह राठौड ने मौजूद प्रशासनिक अघिकारियों को राज्य सरकार से वैधानिक स्वीकृति लाने का आश्वासन देने के साथ एक सप्ताह बाद आ रही प्रताप जयंती पर जिला प्रशासन की मौजूदगी में धूमधाम से इसका अनावरण करवाने का भरोसा दिलाया। बाद में स्वीकृति तो नहीं आई, लेकिन कुछ दिन बाद ही स्थानीय प्रताप भक्तों व प्रधान ने प्रतिमा से कपडा हटा कर अनावरण कर दिया।
इनका कहना हैमुझे इस बात की जानकारी नहीं है। तथ्यों की जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी। -उमाशंकर शर्मा, विकास अघिकारी
अभी पैडस्टल अधूरा है। मैं इसके लिए बात करूंगी। प्रतिमा की सुरक्षा के लिए आपसी बातचीत कर व्यवस्था की जाएगी।-कमला जोशी, प्रधान पंचायत समिति कुंभलगढ
मैंने जबरन लगाई गई इस प्रतिमा के अनावरण के लिए मना किया था। फिर भी जनता ने कैसे कर दिया, यह मेरी जानकारी में नहीं है।-सुरेन्द्रसिंह राठौड, पूर्व सिंचाई राज्यमंत्री व विधायक कुंभलगढ
राज्य सरकार ने अगर इसे अवैध घोषित किया है तो नियमानुसार जो भी संभव होगा, कार्रवाई की जाएगी। - गणेशसिंह परमार,विधायक कुंभलगढ
No comments:
Post a Comment